Sonali Misra

23 अगस्त 2023: झारखंड की अंकिता को शाहरुख द्वारा आग लगाए जाने का एक वर्ष: विमर्श में क्या कुछ बदला?

23 अगस्त 2022 को झारखंड में एक ऐसी घटना हुई थी, जिसके बाद एक नया और बहुत ही हैरान करने वाला विमर्श आरम्भ हुआ था। 23 अगस्त 2022 को झारखंड की अंकिता को उसके घर में शाहरुख ने आग लगाकर जला दिया था। यद्यपि वह बच्ची बेचारी कई दिनों तक जीवन और मृत्यु के मध्य …

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ननी बाला देवी – गुमनाम क्रांतिकारी स्त्रियाँ

आज परिचय ले लेते हैं, उस युग की स्त्रियों का जिस युग में यह प्रमाणित करने की होड़ लग गयी थी कि स्त्री में चेतना नहीं होती या फिर स्त्री पिछड़ी होती है।   आज से कुछ स्वतंत्रता संग्राम की गुमनाम स्त्रियों के जीवन में प्रवेश करेंगे, दबे पांव क्योंकि वह इतिहास की उस चादर के …

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क्षीरोदा सुन्दरी देवी – एक गुमनाम कथा

उनमें बुद्धिमानी और चपलता दोनों ही कूट कूट कर भरी हुई थीं। ऐसा नहीं था कि वह एक आसान जीवन नहीं जी सकती थीं, वह भी अंग्रेजी सरकार में आराम से जी सकती थी, क्यों नहीं जी सकती थीं? आखिर क्या समस्या थी? पर उन्होंने एक ऐसा मार्ग चुना, जिस पर चलना उस समय खतरे …

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वीरांगना प्रीतिलता वादेदार

क्या हम सभी को यह नाम परिचित लगता है? कौन प्रीतिलता? कौन वादेदार? हमारे दिमाग में जरा भी नहीं आता यह शब्द! और क्यों आएगा? क्योंकि हमने सोचा नहीं! हम नहीं सोचना चाहते, हम नहीं झांकना चाहते अपने अतीत में। मगर क्या अतीत इतना भयभीत करने वाला है? हम अपनी स्त्री धरोहरों को इतना क्यों …

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भारत की स्त्री कब थी दुर्बल? फेमिनिस्ट प्रपंच के बीच शकुन्तला की कथा कुछ और कहती है

“रति, प्रीति, और धर्म सभी पत्नी के ही हाथों में होते हैं, अत: ज्ञानी को चाहिए कि वह अति क्रोधित होने पर भी पत्नी से कभी अप्रिय बात न करे” “स्त्रियाँ आत्मा का सनातन और पवित्र जन्मक्षेत्र हैं; ऋषियों में भी क्या शक्ति है जो वह बिना स्त्री के प्रजा रच सकें?” “जब पुत्र धरती …

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लाहौर की गलियों में अभी भी राजा जयपाल का आत्मबलिदान जीवित है!

समय बीत चला है, लाहौर अब हमारे लिए पड़ोसी मुल्क का एक शहर हो गया है। वहां जाकर किस्से ही बदल जाते हैं, जबकि साझे इतिहास को साझा करने वाले भाई साझे अस्तित्व से भी घृणा करते हैं। यह उस इतिहास का कैसा दुर्भाग्य है, कि वह अपनी बात को यहाँ आकर कह नहीं सकता …

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25 जून 1990: गिरिजा टिक्कू की हत्या: दिलीप कौल की कविता, जो साहित्य में जीवित रखे है इस घटना को

25 जून 1975 तो सभी को याद है और सभी याद कर रहे हैं, मगर 25 जून को एक और घटना हुई थी, जिसे स्मरण करना और भी अधिक आवश्यक है। यह घटना है गिरिजा टिक्कू की हत्या, जो 25 जून 1990 को घटित हुई थी। हत्याएं जैसी घटनाओं पर लोग बात करने से हिचकते …

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विश्व बालश्रम निषेध दिवस: आवश्यकता है नए स्तर पर बालश्रम एवं शोषण का दायरा बनाने की एवं पश्चिम को अपने गिरेबान में झांकने की

आज अर्थात 12 जून को विश्व बालश्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। बहुत ही कम लोगों को यह ज्ञात होगा कि यह दिवस जो पूरे विश्व में बाल श्रम का निषेध करने के लिए मनाया जाता है, उसका आरम्भ एक भारतीय के हाथों हुआ था। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा आयोजित यह दिवस बच्चों के पति …

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बोल्ड और अश्लीलता में फर्क न समझ पाने की विवशता या छल?

कई फ़िल्में जब रिलीज होती हैं तो कहा जाता है कि इस फिल्म में बोल्डनेस की हदें पार की गयी हैं, मगर कई बार हम ठहर कर सोचना ही नहीं चाहते कि बोल्डनेस क्या है? बोल्डनेस क्या छोटे छोटे कपड़ों में हैं? तो फिर छोटे छोटे कपड़े पहनकर करवाचौथ व्रत भी प्रगतिशीलता का प्रतीक होगा? …

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एडेप्टेशन अर्थात अनुकूलन और लव जिहाद

अनुवाद अध्ययन में एक शब्द बहुत ही आम सुनाई पड़ता है। adaptation अर्थात अनुकूलन।अनुकूलन अर्थात जो सोर्स टेक्स्ट है उसे टार्गेट टेक्स्ट में उन्हीं तथ्यों के साथ नए रूप में ले लेना। अनुवाद का यह रूप सबसे पुराना है। यह भाषांतरण न होकर तथ्यों को नए काल के अनुसार लिखना है। परन्तु यह बात भी …

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