Sonali Misra

गढ़े हुए नायकों की महानता को सुई लेकर गढ़ा जाता है

वह आलमगीर था। टोपियां सीकर गुजारा करता था, यह कहा जाता है, और यह लिखा भी हुआ है, इस लिखे गए को हमारी पीढ़ी में कूट कूट कर डाला भी गया है। वह बहुत ही संवेदनशील था, यह भी हमारी पीढी को जबरन याद करा दिया गया। पर जब याद आता है कि अपने पिता …

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रामचरित मानस के अंग्रेजी अनुवादकों एवं मिशनरीज़ की दृष्टि में गोस्वामी तुलसीदास एवं रामचरित मानस

भारत में रामचरित मानस एक ऐसा ग्रन्थ है जिस पर अभी तक विमर्श हो रहा है, वह ग्रन्थ इस सम्बन्ध में भी विशेष है कि भारत में मिशनरियों ने भी तुलसीदास जी को इस ग्रन्थ के माध्यम से महानतम कवि बताया है तथा यह बताया है कि “स्थानीय” भाषा में लिखे गए इस ग्रन्थ का …

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जन कवि तुलसी और विमर्श पोषित दरबारी रहीम

हम लोग बचपन से सुनते चले आए हैं कि यह देश राम और रहीम का देश है। रहीम के दोहे जब हमारी पुस्तकों में पढ़ाए गए तो हम लोगों की जुबां पर चढ़ गए और हमने उन्हें तुलसी बाबा के दोहों की तरह कंठस्थ कर दिया।  हाँ, हमारी दादियों के लिए तुलसी बाबा और कबीर …

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हिंदी साहित्य और राजनीतिक या औपनिवेशिक अल्पसंख्यकवाद

क्या साहित्य में भी कोई वाद होता है या फिर वह हर वाद से मुक्त होता है? क्या यह राजनीति को दिशा देता है या फिर राजनीतिक दिशा से संचालित होता है? यह समस्त प्रश्न इसलिए उठते हैं क्योंकि यह कहा जाता है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। यदि वह दर्पण है तो …

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बिल्ली और फेमिनिज्म: यात्रा

प्रकृति से दूर हुए मानव की निर्बलता देखनी है तो प्रसव क्रिया में देखिये। कल रात को अंतत: वह वह घड़ी आई जब वह बिल्लो उस पीड़ा से दो चार हो रही थी, जिस पीड़ा की मैं दो बार साक्षी होकर भी नहीं थी क्योंकि दोनों ही बच्चे ऑपरेशन से हुए थे। इसलिए प्रसव पीड़ा …

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क्या सनातन में प्रेम पर वर्जना थी?

जब भी कभी भारतीय या कहें हिन्दू स्त्रियों की बात होती है, तो हमेशा उनका रोता बिसूरता चित्रण किया जाता है, साहित्य में तो मध्यकालीन तथा वैदिक स्त्रियों की उपलब्धियों पर वामपंथी साहित्यकारों ने न केवल मौन साधा है, अपितु समस्त उपलब्धियों को बिसरा दिया है. उन्हें छिपा दिया है और चेतना का प्रस्फुटन वह …

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आखिर क्यों स्त्रियाँ भारतीय दृष्टिकोण को समझने में नाकाम रहती हैं

फक हिंदुत्व, हिन्दू राष्ट्र मुर्दाबाद, हिंदुत्व की कब्र खुदेगी, हम राजनीतिक हिंदुत्व के खिलाफ हैं!” यह सब वह नारे हैं जो पिछले कई दिनों से मीडिया का हिस्सा बने हुए हैं और यह नारे लगाने वाले कोई और नहीं बल्कि हिन्दू लडकियां ही हैं। क्या यह लडकियों  के साथ हिंदुत्व ने कुछ गलत किया है? …

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डेस्डीमोना मरती नहीं

और वह चली गयी, क्या मैंने उसे रोकने की कोशिश की? क्या मैं उसे रोक सकती थी? शायद नहीं, पर वह थी कौन? एक चरित्र ही तो थी! जो किताब से निकल कर मेरे जीवन को एकदम तहसनहस कर गयी थी। वह ओस की पहली बूँद के जैसी निच्छल थी, पति के प्रेम का शिकार …

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गांधारी

शाम हो चुकी थी। एक महीने के अन्दर चुनाव होने वाले हैं दिल्ली में। और सडकों पर कोई हलचल नहीं, जैसे कि कुछ हो ही नहीं! इस बार नीरस से चुनाव लग रहे थे। न ही सड़क पर कुछ हलचल थी और न ही बाहर कुछ शोर। पहले तो ऐसा नहीं होता था, चुनावों की …

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