इंजीनियर से लेखक बनने का लंबा सफर अमित अग्रवाल ने भारतीय मध्ययुगीन इतिहास पर एक अनोखे दृष्टिकोण से एक पुस्तक लिख कर किया। पुस्तक पहले अंग्रेजी भाषा में लिखी गई थी जिसका शीर्षक है: “Swift horses sharp swords”. इस पुस्तक की सफलता के बाद पाठकों की मांग पर इसको हिन्दी में अनुवाद किया गया जिससे ज्यादा लोगों तक लेखक अपने विचार पहुंचा सके। अनुवादक ने पूरी कोशिश की है कि पुस्तक का मनोभाव बना रहे।
यह पुस्तक 7वीं शताब्दी से 13वीं शताब्दी तक के मध्ययुगीन काल के महत्वपूर्ण युद्धों का एक विस्तृत विवरण है, जिसमें सभी पहलुओं को शामिल करने की एक कोशिश की गई है। इसमें लिखे अध्याय में न केवल तथ्यात्मक आँकड़ों का समावेश है अपितु इसमें विभिन्न विषयों पर पाश्चात्य एवं भारतीय इतिहासकारों की व्याख्या भी दी गयी है। उस युग के सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, तकनीकी और भौगोलिक कारकों और उनके परस्पर स्थितियों का विश्लेषण भी बखूबी किया गया है।
सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर गुप्त काल तक, 5500 से अधिक वर्षों की अवधि में, भारत को दुनिया में सबसे उन्नत और समृद्ध सभ्यताओं में से एक माना जाता था । उन ऊंचाइयों से इसमें धीरे-धीरे पतन होना शुरू हो गया था, खासकर 7वीं शताब्दी में इस्लाम के जन्म के बाद । जिस सभ्यता ने बिना कभी तलवार उठाए एशिया के आधे से भी ज्यादा हिस्से पर 500 BCE से 700 CE तक शासन किया था, विडंबना यह है कि वही अनोखी सभ्यता इस पैनी तलवार की धार से बिखर गई!
यह पुस्तक हमें अब से 1000 वर्ष पूर्व की अदभुत यात्रा पर ले जाती है, जिसमें स्थानों, लोगों और स्थिति का विस्तृत और विशद वर्णन है। ऐतिहासिक तौर पर यह नवपाषाण युग, ताम्रयुग और वैदिक काल के साथ-साथ हड़प्पा सभ्यता की विशेषताओं को साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत करती है। लेखक ने हिंदू और बौद्ध धर्म के उद्भव और प्रसार के बारे में भी विस्तार से चर्चा की है। पुस्तक युद्ध की बारीकियों और दिलचस्प किस्सों से भरी हुई है, जो अधिकांश पाठकों को रोचक लगेगी जैसे कि घोड़े पर सरपट दौड़ते समय तुर्क योद्धाओं की मारक क्षमता 6 तीर प्रति मिनट की थी और वे प्रति दिन 100 किलोमीटर तक की लंबी यात्रा करने में बखूबी सक्षम थे । इसके फलस्वरूप वे अफगानिस्तान के गजनी से मात्र 10 दिनों में दिल्ली तक का बड़ा सफर आसानी से कर लेते थे। लेखक ने इस पुस्तक में प्राचीन और मध्ययुगीन काल में भारतीय समृद्धि की अपार विशालता पर भी ध्यान केंद्रित किया, जो उस समय में दुनिया की GDP का विशाल 25% था।
लेखक ने अपने तकनीकी ज्ञान के समावेश से “Game Theory” के मूल सिद्धांतों, Maslow theory और bell curve को संयोजित करने का प्रयास बख़ूबी किया है , जिससे क्रूर हमले के बावजूद हमारी संस्कृति के जीवित रहने के कारण को बेहतर समझा जा सके। इस पुस्तक में लेखक ने कुछ अनोखे अध्यायों को भी शामिल किया जैसे कि मृतकों की गिनती करते समय Geometric mean का उपयोग क्यों किया जाता था और सभी युद्धक्षेत्र हरियाणा में ही क्यों थे। उन्होंने भारतीय वीर योद्धाओं पर भी पर्याप्त प्रकाश डाला, जिन्होंने आक्रमणकारियों के खिलाफ अपनी मातृभूमि का सफलतापूर्वक बचाव किया।
कुल मिलाकर किताब भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विहंगम दृश्य प्रस्तुत करने के लिए गरुड़दृष्टि के साथ लिखी गई है। इस लिहाज से यह मध्यकालीन भारत की एक समग्र रूपरेखा प्रस्तुत करती है, जिसके जरिए हम भारतीय समाज के निर्माण और पतन की प्रक्रिया को समझ सकते हैं। विषय-वस्तु के गहन अध्ययन के लिए पुस्तक के अन्त में चुने हुए संदर्भ भी दिये गये हैं।
इसका बहुत ही सरल भाषा में अनुवाद किया गया है, फिर भी जहां पर क्लिष्ट शब्द आ गए हैं, वहाँ पर अंग्रेजी में भी लिख दिया गया है। यह इतिहास में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण और एक अनिवार्य पुस्तक है जो उस अतीत की खोज की प्रक्रिया को एक रोमांचक अनुभव में बदल देती है। हमारा इतिहास अभी तक मार्क्सवादी लेखकों ने लिखा था जिन्होंने हमलावरों को ही गौरवान्वित कर डाला। इस पुस्तक की सबसे खास बात यह है कि यह भारतीय परिप्रेक्ष्य से लिखी गई है और यही इसकी शक्ति है।
अभी यह वर्तमान में Kindle और paperback दोनों प्रारूपों में Amazon पर सूचीबद्ध है ।
बेहतरीन जानकारी ,
निःसंदेह पढ़ने योग्य पुस्तक है .
धन्यवाद नितिन जी