narratives

एडेप्टेशन अर्थात अनुकूलन और लव जिहाद

अनुवाद अध्ययन में एक शब्द बहुत ही आम सुनाई पड़ता है। adaptation अर्थात अनुकूलन।अनुकूलन अर्थात जो सोर्स टेक्स्ट है उसे टार्गेट टेक्स्ट में उन्हीं तथ्यों के साथ नए रूप में ले लेना। अनुवाद का यह रूप सबसे पुराना है। यह भाषांतरण न होकर तथ्यों को नए काल के अनुसार लिखना है। परन्तु यह बात भी …

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मिशनरी पुस्तकें और राजा राम मोहन राय: मिशनरी शिक्षा के मददगार?

सीएफएंड्रूज़ की किताब जो भारत में कथित पुनर्जागरण और उसके मिशनरी पहलुओं को बताती है, वह राजा राम मोहन राय के विषय में बहुत ही रोचक दृष्टिकोण प्रदान करती है। THE RENAISSANCE IN INDIA, ITS MISSIONARY ASPECT, जिसका उद्देश्य मिशनरी सर्कल में प्रयोग करने के लिए था और यह उस कथित ज्ञान के बारे में …

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मदर्स डे: माँ की अवधारणा को संकुचित करने का अवसर क्यों बनता जा रहा है?

कल सभी ने मातृदिवस मना लिया। मातृत्व एक बहुत ही गंभीर भाव है, अत्यंत महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व है। क्योंकि आप जब अपनी सन्तान का पालनपोषण करती हैं, वह किस भाव से करती हैं, उसीमे समाज का हित और समाज अहित छिपा हुआ है। क्या विडंबना है कि जहाँ पर जगत जननी की अवधारणा है, जहां पर …

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अय्याशियों की दास्तान: मुग़ल शहजादों का जीवन

मेहरुन्निसा को देखते हुए जहाँगीर क्या सोचा करता होगा? कैसा लगा होगा जब मेहरुन्निसा का निकाह करा दिया गया था और फिर बाद में वह उसे मिली थी। जहांगीर ने सलीम से लेकर जहांगीर तक का सफ़र तय किया था? वह इश्क का ही तो सफर करके आया था। न जाने कितना लम्बा! जब से …

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प्रवीण नेत्तारू का मकान केवल मकान ही नहीं है: यह एक वादे का पूरा होना है, भारतीय जनता पार्टी ने पूरा किया अधूरा सपना  

प्रवीण नेत्तारू, एक ऐसा नाम जो हाल फिलहाल परिदृश्य से बाहर है, परन्तु प्रवीण नेत्तारू का विमर्श परिदृश्य से बाहर नहीं है और न ही वह हो सकता है। प्रवीण नेत्तारू का नाम अब शायद लोग भूल गए हैं, या कहें सूचनाओं के इस संसार में एक वह नाम था जो आम लोगों की स्मृति …

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कम्युनिस्ट तारेक फ़तेह की मृत्यु पर कट्टरपंथी जश्न पर भारत के कथित प्रगतिशील वर्ग का मौन

कम्युनिस्ट विचारधारा का समर्थन करने वाले पाकिस्तानी विद्वान तारेक फ़तेह का देहांत पिछले दिनों हो गया। यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि धर्म अफीम है कहकर हिन्दुओं को कोसने वाले भारत के कॉमरेड इस पर मौन रह गए। उनके लिए जैसे इस मृत्यु का कोई मोल नहीं था! ऐसा क्यों था यह …

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श्री रामकथा में तथ्यों एवं छवि के साथ छेड़छाड़ के निहितार्थ एवं दुष्प्रभाव

पिछले कई दिनों से मैं यही सोच रही थी कि क्या आदरणीय तुलसीदास जी ने श्री रामचरित मानस में गौतम ऋषि की पत्नी अहल्या को निर्दोष बताया है? ऐसा इसलिए क्योंकि कई धारावाहिकों के माध्यम से गौतम ऋषि पहले ही मेरी दृष्टि में खलनायक बन गए थे, जिन्होनें इंद्र को तो दंड नहीं दिया था, …

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ट्रांसवीमेन- असफल और कुंठित पुरुषों की शरणगाह?

जैसे ही ट्रांस-वीमेन अर्थात ट्रांस महिला की बात आती है तो भारत में इसे हिजड़े के रूप में देखा जाता है, परन्तु यह हिजड़ा नहीं है, यह किन्नर नहीं है। यह ट्रांस-वुमन है अर्थात वह पुरुष जो पुरुष देह में हैं, परन्तु उन्हें लगता है कि वह महिला हैं, तो वह सर्जरी कराकर स्वयं यह …

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चॉइस फेमिनिज्म और इंटरसेक्शनल फेमिनिज्म एक दूसरे के परस्पर विरोधी परन्तु एक साथ मिलकर समाज और पुरुष के विरोधी हैं

फेमिनिज्म की जब हम बात करते हैं तो बस यहीं तक रह जाते हैं यह नहीं करना, वह करना आदि आदि! चॉइस फेमिनिज्म को हम व्यक्तिगत फेमिनिज्म कह सकते हैं। इस प्रकार के फेमिनिज्म में केवल औरत की व्यक्तिगत पसंद की बात होती है। जैसे माई बॉडी, माई चॉइस। माई लाइफ माई चॉइस। मैं तो …

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गढ़े हुए नायकों की महानता को सुई लेकर गढ़ा जाता है

वह आलमगीर था। टोपियां सीकर गुजारा करता था, यह कहा जाता है, और यह लिखा भी हुआ है, इस लिखे गए को हमारी पीढ़ी में कूट कूट कर डाला भी गया है। वह बहुत ही संवेदनशील था, यह भी हमारी पीढी को जबरन याद करा दिया गया। पर जब याद आता है कि अपने पिता …

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