poems

स्त्री और चेतना

स्त्री और चेतनाहमारी एक दुनिया थी और था एक इतिहास!मूक नहीं था, उत्सव थे और था ज्ञान का उल्लास!स्पंदन था, देह का उत्सव था,हमने उकेरा था अपने प्रेम और देह दोनों को हीपन्नों पर!एवं चेतना तथा स्मृति में कहीं समा गईं थीं!कहाँ था इस विशाल देश में देह का बंधन,और यौनिकता कहाँ थी वर्जित?उन्मुक्त मदनोत्सव …

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साधारण स्त्री और फेमिनिज्म

एक साधारण स्त्री को बचकर रहना चाहिए छद्म बौद्धिक फेमिनिस्ट से, क्योंकि उनके दिमागों में भरी होती है विष्ठा, यौन कुंठा, रात्रि में विकृत भावों से पी गयी मदिरा की गंदी हंसी! एक साधारण स्त्री को बचकर रहना चाहिए, उन औरतों से, जिनकी सुबह और शाम अमीर बॉयफ्रेंड या अमीर पतियों की गालियों से होती …

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प्रथम विश्व युद्ध के दौरान महिलाओं की लिखी हुई कविताओं के हिन्दी अनुवाद

यह कविताएँ प्रथम विश्व युद्ध के दौरान महिलाओं की लिखी हुई कविताएँ हैं. मेरी गैब्रेली कोलिन्स अपनी कविता वीमेन एट म्युटिशन मेकिंग, में स्त्रियों के इसी दुःख को व्यक्त करती हुई लिखती हैं: Mary Gabrielle Collins(Ella) was born on 31 August 1874 in Penderyn (near Aberdare), Wales. She lived in the family homes, Duffryn House and Clearwell …

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जल एवं मिलन

“कितना भीगना चाहती हो?” आकाश ने धरा से पूछा! “उतना ही जितना भीतर तक समा जाए, तुम्हारा नेह, भीतर तक तुम्हारी देह!” आकाश हंसा! “देह! मेरी देह? क्या देवी को देह से भीगना है!” धरा सकुचा उठी! वृक्षों से संदेसा भिजवाया “प्रेम में देह की पृथकता कहाँ होती है देव!” आकाश ने स्वीकारी धरा की …

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