प्रवीण राय की प्रेम कथा: वोक फेमिनिज्म के गाल पर तमाचे की तरह है

वोक फेमिनिस्ट जिनके लिए प्रणय का इतिहास ही जैसे उनके फेमिनिज्म की आँख खुलने के बाद आरम्भ होता है, उन्होंने कभी प्रेम और मिलन की उन्मुक्तता लिखने वाली प्रवीण राय के विषय में नहीं पढ़ा होगा। जो लोग योनि अर्थात वजाइना तक प्रेम को सीमित कर देती हैं, उन्होंने कभी ओरछा की प्रवीण राय के विषय में नहीं पढ़ा होगा,

प्रवीण राय कौन थीं? इन्होनें यह नहीं जाना होगा! प्रवीण राय ओरछा की एक नर्तकी थीं। यह ओरछा (बुन्देलखण्ड) के महाराज इन्द्रजीत सिंह के यहाँ रहती थीं। महाकवि केशवदास की यह शिष्या थीं। प्रवीण राय के विषय में अकबर ने सुना तो वह मोहित हो गया और उसने प्रवीण राय को बुलवा भेजा। प्रवीण राय ने इन्द्रजीत के पास जाकर निम्न पंक्तियों को पढ़ा:

आई हौं बूझन मन्त्र तुम्हैं निज स्वासन सों सिगरी मति गोई

देह तजौं कि तजौं कुल कानि हिए न लजों लजि हैं सब कोई।

स्वारथ औ परमारथ को पथ चित्त बिचारि कहौ तुम सोई,

जामे रहै प्रभु की प्रभुता अरु मोर पतिव्रत भंग न होई!

इन्द्रजीत सिंह ने प्रवीण राय को अकबर के पास नहीं जाने दिया। अकबर इस बात को लेकर बहुत कुपित हो गया और उसने नाराज होकर इन्द्रजीत सिंह पर एक करोड़ का जुर्माना किया और प्रवीण राय को जबरदस्ती बुलवा भेजा। प्रवीण राय की सुन्दरता और कविता पर अकबर मोहित हो गया, और प्रवीण राय ने बादशाह से यह कहा

“बिनती राय प्रवीण की सुनिए, साह सुजान

जूठी पतरी भखत हैं, वारी बायस स्वान!”

यह सुनकर अकबर लज्जित हुआ और उसने प्रवीण राय को ससम्मान वापस भेज दिया। और इन्द्रजीत सिंह का एक करोड़ रूपए का जुर्माना माफ़ कर दिया।

वह जब प्रणय लिखती हैं, तो पूरी उन्मुक्तता से लिखती हैं। वह लिखती हैं:

कूर कुक्कुर कोटि कोठरी किवारी राखों,

चुनि वै चिरेयन को मूँदी राखौ जलियौ,

सारंग में सारंग सुनाई के प्रवीण बीना,

सारंग के सारंग की जीति करौ थलियौ

बैठी पर्यक पे निसंक हये के अंक भरो,

करौंगी अधर पान मैन मत्त मिलियो,

मोहिं मिले इन्द्रजीत धीरज नरिंदरराय,

एहों चंद आज नेकु मंद गति चलियौ!

अर्थात वह स्पष्ट कह रही है कि आज मिलन की रात कहीं बीत न जाए और रात लम्बी हो, और पिया से मिलन में व्यवधान न आए उसके लिए वह हर कदम उठाएगी, वह कुत्ते को कोठरी में बंद करेगी, वह चिड़ियों को जाली में बंद करके उनका कलरव बंद करेगी, वह वीणा से चन्द्रमा को प्रभावित करेगी और कहेगी कि आज की रात को और बढ़ा दे!

यह प्रेम की उन्मुक्तता है! यह देह की बात है, यह देह की पुकार है, वह चाहती है कि अपने प्रियतम की देह का सुख वह पूरी रात ले, और इसमें उसे कोई व्यवधान नहीं चाहिए!

स्त्री जब मिलन की कल्पना करती है तो वह प्रवीणराय हो जाती है। जो अकबर की कैद से अपने पति को छुड़ा कर ले आती है, और जिसे कैद से छुड़ाकर लाती है उसके साथ मिलन की कल्पना को लिखती भी है। वह ऐसी स्त्री है जो वाक्पटु है, सुन्दर है और सबसे बढ़कर स्वतंत्र निर्णय लेने वाली है।

मगर वोक फेमिनिज्म, प्रवीण राय जैसी स्त्रियों को नहीं पढ़ना चाहता, उसके लिए अकबर महान है जो प्रवीण राय जो जबरन अपने हरम में बुलाना चाहता था और वह प्रवीण राय अनजान है, जो उस हरम में न जाकर अपने प्रेम के साथ ही रहती है

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