केरल में रहने वाली निमिषा प्रिया ने एशियानेट को एक आपात सन्देश भेजा कि उन्हें किसी भी क्षण फांसी दी जा सकती है और उन्होंने यमन की जेल से भारत की महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है और सहायता माँगी है।
वह भारत में केरल से हैं और जाहिर है कि वह पेशे से नर्स होंगी, क्योंकि केरल और नर्स अब जैसे एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं। प्रश्न यह भी उठता है कि आखिर निमिषा का अपराध क्या है कि वह अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रही हैं। क्या भारत सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है? यह प्रश्न स्वाभाविक उठेगा और यदि कर रही है तो क्या?
इस मामले में भारत सरकार ने उचित कदम उठाए हैं और यमन की सरकार से बातचीत भी लगातार की है। परन्तु फिर भी बहुत कुछ ऐसा है, जिसके चलते निमिषा भारत सरकार से फिर से गुहार लगा रही हैं।
कौन हैं निमिषा और क्या है मामला?
मीडिया के अनुसार निमिषा केरल की एक नर्स हैं और वह अपने व्यावसायिक साझेदार तलाल अब्दु मेहदी की हत्या के मामले में जेल में हैं। मेहदी एक यमनी नागरिक था, जिसके साथ मिलकर निमिषा ने क्लीनिक खोला था, और निमिषा का आरोप है कि तलाल ने उसका यौन शोषण किया था। निमिषा का कहना है कि तलाल उनकी सहायता करने के नाम पर आगे आया था और तलाल ने फिर निमिषा का पासपोर्ट अपने पास रख लिया था और यौन शोषण करने लगा था।
निमिषा के पति टॉमी थॉमस और बेटी वर्ष 2014 में ही भारत लौट गए थे, निमिषा अपने पति टॉमी थॉमस के साथ वर्ष 2011 में यमन गयी थी, जहां पर वह नर्स का काम करती थी और टॉमी को एक पेट्रोल पम्प पर काम मिल गया था।
वहीं पर वर्ष 2013 में निमिषा की बेटी का जन्म हुआ और जिसके बाद उसके पति ने नौकरी छोड़ दी और एक वर्ष के बाद भी अर्थात वर्ष 2014 में पिता और बेटी तो भारत चले गए, मगर निमिषा नहीं गयी। theweek के अनुसार थॉमस अब ऑटो रिश्वव चलाता है!
निमिषा ने यमन में रहकर ही काम करना चुना। उसने तलाल की मदद ली क्योंकि यमन के कानूनों के अनुसार केवल यमन का नागरिक ही वहां पर क्लीनिक खोल सकता है। निमिषा का आरोप है कि तलाल ने उसे अपनी बीवी बताया था, मगर इसके बारे में जब उसने पूछा तो तलाल का जबाव था कि अधिकारियों को कोई संदेह न हो इसलिए ऐसा किया।
उसके बाद निमिषा का कथन है कि तलाल उसे लगातार परेशान करने लगा और उसके साथ यौन उत्पीडन बढ़ने लगा।
न्यूज़ मिनट के हवाले से फर्स्टपोस्ट ने लिखा है कि “उसने मेरा पासपोर्ट जब्त कर लिया, उसने मुझे अपने साथ रहने के लिए मजबूर किया। वह नशे में धुत्त होकर मेरे घर आता था और मुझ पर शारीरिक हमला करता था, मुझे उसकी बात मानने के लिए धमकाता था, मुझे चोटें पहुँचाता था। वह रात में अपने दोस्तों को भी मेरे घर लाता था और मुझे उनके साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था। मैं हर बार खुद को बचाने के लिए बाहर भागती थी।“
निमिषा के अनुसार जब वह इस यातना को नहीं झेल पाई तो उसने तलाल से छुटकारा पाने का निर्णय लिया। तो फिर उसने कैसे मारा होगा?
तलाल की हत्या
निमिषा ने 25 जुलाई 2017 को तलाल को केटामाइन का इंजेक्शन लगाया, जिससे उसकी मौत हो गईं। मगर मीडिया के अनुसार उसने एक यमन की नर्स हनन की सहायता से तलाल को टुकड़ों में काटा और एक पोलीथिन के बैग में रखा और अपने अपार्टमेन्ट के टैंक में डाल दिया। हनन को उम्र कैद की सजा सुनाई गयी है!
तलाल की लाश मिलने पर वहां के नागरिकों ने पुलिस को बताया और फिर पुलिस ने निमिषा की तलाश शुरू की और उसे जल्दी से हिरासत में लिया।
यमन के कानून के अनुसार जब तक तलाक के परिवार के लोग निमिषा को क्षमा नहीं करेंगे तब तक उसे क्षमा नहीं मिल सकती है। इसके लिए भारत सरकार ने भी निमिषा की माँ की अपील पर ध्यान दिया, मगर जब तक निमिषा के परिवार के लोग एक निश्चित राशि नहीं मृतक के परिवार को देते हैं, तब तक निमिषा को क्षमा नहीं मिलेगी।
पिछले वर्ष फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार चूंकि कोई भी राशि इस कार्य हेतु निर्धारण नहीं हो पाई थी, इसलिए तब बात आगे नहीं थी। केंद्र सरकार ने विशेष रूप से कहा था कि हालांकि जेल के अंदर उसका खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा, लेकिन वह तलाल के परिवार को ब्लड मनी का भुगतान नहीं कर सकती है और न ही बातचीत प्रक्रिया में शामिल होगी।
अब यदि इस मामले में कौन दोषी है? इसके लिए तमाम बातें निकलकर आ सकती हैं, परन्तु क्या निमिषा का वह निर्णय उनकी इस स्थिति के लिए उत्तरदायी नहीं है जिसमें निमिषा ने पति और बेटी के बिना ही यमन में रहने का निर्णय लिया और उस व्यापार को करने का निर्णय लिया, जिसे यमन का नागरिक ही कर सकता है।
क्या निमिषा को यह ज्ञात नहीं होगा कि बिना पति के एक दूसरे पुरुष के साथ कार्य आरम्भ करने की कुछ सीमाएं हैं, या फिर दूसरे देश में कार्य करने की कुछ सीमाएं हैं?
बहरहाल, निमिषा अब केवल इसी आस पर है कि तलाल का परिवार उसे माफ़ कर दे!
परन्तु यह प्रश्न अनुत्तरित रहेगा कि आखिर निमिषा ने परिवार के साथ भारत आना अस्वीकार्य क्यों किया और वहीं पर खतरनाक स्थान पर, नियम तोड़कर कार्य करना क्यों स्वीकार किया? क्या यह भी उसी विषैले फेमिनिज्म वाली स्वतंत्र पहचान का शिकार हुई है जिसका शिकार आज बहुत सी अन्य लड़कियां हो रही हैं? या फिर क्या?